इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग, इसके लाभ और इसमें सफल कैसे हो?

Influencer Marketing, its benefits and how to be successful in it
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वर्तमान का समय डिजिटल मीडिया का समय है। आज लगभग सभी लोग किसी ना किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में सोशल मीडिया यूज़र में से अधिकतर इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं कई लोग इसका इस्तेमाल प्रोफेशनली भी कर रहे हैं और इससे अच्छी खासी आमदनी भी कमा रहे हैं। कई सारी कम्पनियां तो सिर्फ सोशल मीडिया के ज़रिये ही पैसा कमा रही हैं।

डिजिटल मीडिया में आज एक प्रमुख फील्ड उभरकर आ रही है, वो है इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग। आज जानिए क्या है इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग, इसके फायदे और कैसे हो सकते हैं इसमें सफल –

इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग क्या है?

आज कई लोग किसी एक कैटेगरी को चुनकर लगातार उससे जुड़ा कंटेंट किसी न किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट करते हैं। जब ऐसे लोगों के फॉलोअर्स लगातार बढ़ते हैं, तो ऐसे लोगों को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स कहा जाता है। कम्पनियां ऐसे लोगों से कांटेक्ट करती हैं और ये लोग कुछ रकम लेकर कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विसेस से जुड़ी पोस्ट करते हैं, इस पूरी प्रक्रिया को इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग कहते हैं।

सरल शब्दों में, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग सोशल मीडिया मार्केटिंग का एक प्रकार है, जिसमें आप अपने उत्पाद का विज्ञापन उन प्रभावशाली लोगों के साथ करते हैं, जिन्हें किसी विशेष क्षेत्र का ज्ञान होता है और समाज में प्रभाव होता है।

इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग के फायदे

आज इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग, मार्केटिंग के दूसरे तरीकों से ज्यादा फेमस हो रही है और कई लोग अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इन्फ्लुएंसर्स बनना चाहते हैं। क्या कारण है कि यह इतना फेमस हो रहा है, जानिये इसके फायदे –

सेलेक्टेड ऑडियंस तक पहुँच :

इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग करने से पहले इन्फ्लुएंसर्स अपनी एक कैटेगरी तय करते हैं, जैसे फाइनेंस, एजुकेशन, स्पिरिचुअल, मोटिवेशनल आदि। कंपनी हमेशा अपनी कैटेगरी से जुड़े इन्फ्लुएंसर्स से ही कांटेक्ट करती है, इसलिए कंपनी को उससे जुड़ी ऑडियंस आसानी से मिल जाती है।

ब्रांड पर विश्वास बढ़ना :

किसी भी कंपनी को अपने ब्रांड पर लोगों का विश्वास बनाने में बहुत समय लग जाता है। ऐसे में जब कंपनी इन्फ्लुएंसर्स से संपर्क करती है, तो उनके फॉलोअर्स इन्फ्लुएंसर्स में अपने विश्वास के कारण उस ब्रांड पर भी आसानी से विश्वास कर लेते हैं। इसके लिए इन्फ्लुएंसर्स को यह ध्यान रखना होगा कि वे अच्छे ब्रांड्स को ही एंडोर्स करें।

सेलिब्रिटी के मुकाबले सस्ता :

किसी सेलिब्रिटी से विज्ञापन करवाने पर सेलिब्रिटीज़ बहुत ही ज्यादा चार्ज करते हैं। इसके उलट इन्फ्लुएंसर्स के पास कम लेकिन सेलेक्टेड ऑडियंस होती है और ये ब्रांड को एंडोर्स करने के लिए सेलिब्रिटीज़ के मुकाबले कम चार्ज करते हैं। इसलिए इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग सेलिब्रिटी के मुकाबले सस्ता होता है।

ऐसे बनें इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग में सफल

ऊपर बताये पॉइंट्स को देखें, तो हम यह समझ सकते हैं कि क्यों आज कई कंपनियां और ब्रांड इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में जानिये इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग में सफल होने के टिप्स –

गोल क्लियर होना :

जब भी कोई कंपनी या ब्रांड मार्केटिंग करती है, तो उनका हर बार अलग-अलग गोल होता है। कभी वे सिर्फ जागरूकता लाना चाहती है, कभी किसी विशेष ऑफर का प्रचार करती है। इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग करने से पहले ब्रांड को यह स्पष्ट होना चाहिए कि वे किस कारण से मार्केटिंग करना चाहते हैं। यह तय होने के बाद ब्रांड्स को अपनी टारगेट ऑडियंस तय करनी होगी।

सही इन्फ्लुएंसर की तलाश :

अपने गोल और अपनी टारगेट ऑडियंस को तय करके आप एक सही इन्फ्लुएंसर की तलाश करनी होगी। आपको रिसर्च करनी होगी कि कौन से इन्फ्लुएंसर से जुड़कर आप अपनी टारगेट ऑडियंस के साथ ज्यादा से ज्यादा जुड़ पायेंगे। हर इन्फ्लुएंसर की ऑडियंस की उम्र, उनकी पसंद सब अलग-अलग होती हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही आप अपने लिए सही इन्फ्लुएंसर तय कर पाएंगे।

छोटे इन्फ्लुएंसर्स के साथ भी कर सकते हैं काम :

बड़े इन्फ्लुएंसर्स की फीस भी ज्यादा होती है। यदि आप अपने बिज़नेस के शुरुआती दौर में हैं और ज्यादा रकम खर्च नहीं कर सकते, तो आप छोटे इन्फ्लुएंसर्स के साथ भी काम कर सकते हैं। जब आप छोटे इन्फ्लुएंसर्स के साथ काम करते हैं, तो आप कम खर्च में भी अपनी मार्केटिंग कर सकते हैं।

एजेंसियों की सहायता भी ले सकते हैं :

आज डिजिटल मार्केटिंग की तरह ही इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग एजेंसियां भी काम कर रही हैं। यह कम्पनियां आपकी ज़रूरतों और आपके बजट के आधार पर कई सारे इन्फ्लुएंसर्स से बात करके आपके लिए कोई इन्फ्लुएंसर फाइनल करती हैं। ऐसी एजेंसियों के पास छोटे-बड़े हर प्रकार के इन्फ्लुएंसर्स की डिटेल्स होती हैं। इस काम के लिए वे कुछ फीस लेती हैं।

ट्रैक करके एनालिसिस करें :

जब आप किसी इन्फ्लुएंसर को फाइनल करके ब्रांडिंग शुरू कर देते हैं, तब सबसे ज़रूरी काम होता है इसे ट्रैक करना और डाटा को एनालिसिस करके यह देखना कि इससे आपके बिज़नेस या ब्रांडिंग पर क्या असर पड़ रहा है। यदि ज़रूरी हो तो क्या इसमें कोई चेंज करना पड़े तो वो भी करना चाहिए।

आज के डिजिटल युग में जहाँ लगभग हर इंसान सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है, ऐसे में इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग एक सफल फील्ड बनती जा रही है। यदि आप भी अपने ब्रांड को कम खर्चे में ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं, तो आपको इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का सहारा ज़रूर लेना चाहिए।

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